क्या आतंकवाद का स्थायी उपचार है ?

आतंकवाद

भारत जैसे देश के लिए आतंकवाद का स्थायी उपचार खोजना आज के समय में देश की सुरक्षा के लिए सबसे अहम् कदम है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने आतंकवाद का एक बीभत्स रूप प्रदर्शित किया है। तब से पूरा देश उचित प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में है। समूचा राष्ट्र एक समान भावनाओ से ओत प्रोत है कि हमें पूरी क्षमता से जबावी कार्यवाही करनी चाहिए। वैसे तो भारत सरकार इस दिशा में उचित कदम उठा रही है। सभी देशवासियो को भारत सरकार पर पूर्ण भरोसा है की वह उचित और सक्षम कदम आतंकवाद से निपटने के लिए उठाएगी। आतंकवाद जैसे संवेदनशील विषय से निपटने के लिए भारत सरकार ही सक्षम है और इस सन्दर्भ में आवश्यक सावधानी बरती जानी चाहिए क्योकि यह देश हित से जुड़ा मुद्दा है।

प्रतिक्रिया

इस समय समाज में सबसे अधिक मंथन इसी पहलू पर जारी है की भारत को कब , क्या और कैसे कार्यवाही करनी चाहिए।  तार्किक दृष्टिकोण तो यही कहता है कि पाकिस्तान पर निरंतर प्रयासों से बहु स्तरीय शिकंजा कसा जाय उसके सैन्य , आर्थिक और कूटनीतिक सभी मोर्चो पर आघात किये जाय। पाकिस्तान के जिस क्रूर और कुरूप चेहरे से हम परिचित है वह हाल के वर्षो में पूरे विश्व के समक्ष भी बेनकाब हो गया है। पाकिस्तान क्षेत्र में स्थित सभी आतंकवादी शिविर को नष्ट किया जाना बेहद जरूरी है नहीं तो आतंकवाद का स्थायी उपचार नहीं हो पायेगा और पूरी दुनिया आतंकवाद के इस चक्र से जूझती रहेगी।

आतंकवाद की समाप्त के तरीके

  1. वैश्विक दबाव

विश्व में बहुत सी ऐसे देश है जो आतंकवादी देशो के साथ है और उनका भरपूर मदद करते है।  यह मदद किसी भी रूप में हो सकती है चाहे वह हथियार के रूप में हो , पानी के रूप में हो, श्रम के रूप में हो , व्यापार की सुगमता या अन्य किसी भी तरीके से हो सकती है। ऐसी स्थित में आतंकवाद से लड़ना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। यदि सभी देश एकजुट होकर आतंकवादी देश की सारी सुविधाएं बंद कर दे तो यह दबाव निश्चित रूप से काम आएगा और आतंकवाद से लड़ने में सुगमता भी होगी।

  1. शिक्षा का प्रचार

प्रायः यह देखा गया है कि जहाँ पर शिक्षा कम है या नहीं के बराबर है ऐसे देश ज्यादा आतंकवादी पैदा कर रहे है। शिक्षा का असली मतलब उनको न तो पता है न ही उन देशो की सरकारें उनको बताने का प्रयास करती है। बहुत से देशो की आर्थिक हालत आतंकवाद या अन्य गैरकानूनी गतिविधियों पर ही निर्भर है। ऐसे देश को शिक्षा से कुछ लेना देना नहीं है या कहे की सरकारे उनको शिक्षित करने का प्रयास ही नहीं करती। यदि शिक्षा का प्रचार सरकार द्वारा उसके सही उद्देश्य के लिए किया जाय और लोगो में जागरूकता फैलाया जाय तो भी आतंकवाद रूक सकता है।

  1. धर्म

धर्म एक ऐसा शब्द है जिसको हमेशा  गलत रूप से समझा जाता रहा है।  धर्म एक पवित्र भावना है विचार है लेकिन आज के समय में लोग इसको गलत रूप से तोड़ मड़ोड़ कर प्रस्तुत कर रहे है। लोग जाति , धर्म , संप्रदाय में विभक्त होकर आपस में लड़ रहे है। एक देश दूसरे से धार्मिक रूप से असहमत है लिहाजा एक दूसरे पर वार हो रहे है।  लेकिन यहाँ यह बहुत ही विचारणीय विषय यह है क्या धार्मिक आतंकवाद भी हो सकता है ? इसका उत्तर होगा की हाँ। क्योकि यह देखा जा रहा है की धार्मिक नफरत अन्य नफरत से ज्यादा शक्तिशाली है। लोग धर्म को लेकर पागल हो जाते है और अपना धर्म ऊँचा और सर्वमान्य बताते है। ऐसी धार्मिक कट्टरता किस काम की जिससे सम्पूर्ण मानव समाज को हानि हो रही है। धर्म क्या है ? इसका क्या स्वरूप है जानने के लिए आप गीता पढ़ सकते है गीता में धर्म को बहुत ही विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है।

  1. गरीबी

ऐसे देश जहाँ गरीबी नहीं है प्रायः यह देखा गया है की वहां पर शिक्षा का स्तर ऊँचा है , जहाँ गरीबी है वहां शिक्षा का स्तर नीचा है। विश्व में जितने भी गरीब देश है ज्यादातर आतंकवाद उन्ही देशो से फैलाया जा रहा है। ऐसे देश में इनकम का मुख्य श्रोत आतंकवाद ही है। पुरे देश की आर्थिक हालात आतंकवाद पर ही निर्भर रहता है। आक्रमण की दशा में ऐसे देश तहस नहस हो जाते है परन्तु विश्व के लिए सिरदर्द बने रहते है।

निष्कर्ष

विश्व पटल पर भारत की बढ़ती छवि को कुछ देश सहन नहीं कर पा रहे है इन्ही देशो में एक देश पाकिस्तान भी है जो भारत जैसे देश को दिखाता कुछ और है और करता कुछ और है। छुप कर वार करना पाकिस्तान की आदत है। इसी देश में आतंक की जड़ें है जो कभी भी पनप सकती है इसलिए उसका स्थायी उपचार भी किया जाना आवश्यक है अन्यथा पूरे  विश्व के लिए यह दीमक की तरह काम करेगा जो अंदर ही अंदर सबको खोखला कर देगी।

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